उन्मुक्त गगन में मन शंखनाद करे स्वर्ण आभा को आशा करता हूँ ये कविता आप सब को आत्मविश्लेषण करने को मजबूर करे ॥ कौन करे (ग़ज़ल) मनुहार झूमे करे सलाम नदिया जो कभी था...

Hindi परन्तु हिय को तृप्त करे जो Poems